जिंदगी गाहे-बगाहे बेहिसाब सबक देती है मगर हम लोग सबक लेते ही नहीं है , पिछले कुछ दिन व्यस्तता के कारण ये पोस्ट लेट होगई इसको थोड़ा पहले लिखा जाना था मगर देर आये दुरुस्त आये। हम पिछले दिनों हिमाचल में थे भीड़ भाड़ वाली दुनिया से अलग मैं और दीपक , पढ़ने और जीने में लगे हुए थे, मेरी गलती कहो या कुछ भी टिकट इतनी आगे की बुक की फ्लाइट की तो अंत में डलहौजी में ही 3 से 4 दिन बिता दिए। डलहौजी ऐसा होगया था कि मैं होटल से निकलती इधर उधर घूम कर होटल आजाती इसी में एक शाम फिर निकले हम और इस बार शॉल लेने और कॉफी पीने निकले,एक शॉल ले लिया फिर थोड़ा आगे बढ़े तो दुकानदार ने रोक लिया " की जितने का खरीद कर लाये हो उससे सस्ते में ले जाओ शॉल" ये सुनकर मैं चल पड़ी थी ,मगर दीपक ठहर कर देखने लगे गए फिर थोड़ी देर देखने पर दुकान में एक सरदारों का ग्रुप आया सब के सब तकरीबन 55 60 और 65 की उम्र के थे उनमें एक अंकल जी बड़े मजाकिया थे जो दुकानदार की हर बात का जवाब पंजाबी में और बड़े ही मजाकिया लहज़े में दे रहे थे दुकानदार कहे की "सर पूछो ही मत " अंकल फटाक से जवाब दें कि "ले फिर नी पूछ दे " 🤣🤣 यहाँ शुरू हुआ ये सब अंकल को आंटी के लिए शॉल लेना था मुझसे थोड़ी सलाह माँगी और ऐसे करते करते उन्होंने अपनी पुत्र वधु के लिए भी लिया,बातों बातों में पता चला वो अंकल अमेरिका से आये हैं , फिर एक और बात पता लगी की अंकल अपने 40 साल पहले के कॉलेज फ़्रेंड्स के साथ गेट टूगेदर करने आये हैं ,कोई अमेरिका से,कोई कनाडा से कोई पंजाब के शाहबाद से और कोई शिमला से। मैं थोड़े शाक में थी की अभी मुझे 2 3 साल हुए हैं कॉलेज से निकले अब कोई get-together प्लान करो तो सिरे नहीं चढ़ती और ये लोग 40 42 साल बाद ऐसे इकठ्ठे हो रहे हैं। फिर बातों का दौर कॉफी से शुरू हुआ और अंकल जी ने हमे बताया कि वो उस होटल में रुके हैं और होटल से कहकर आज रात dj night प्लान की है ,हमें भी साथ ले गए पहले पहल मुझे लग रहा था कहीं हम उन लोगों के प्लान को खराब ना कर दे मगर जैसे जैसे हम सबसे मिले हमें महसूस हुआ था कि वो हमारे ट्रिप की बेहतरीन शाम थी।
पंजाब के होम्योपैथी कॉलेज से साथ आज 40 साल बाद वो 10 लोग कॉलेज की याद ताजा करने बैठे थे, और मैं goosebumps फील कर रही थी सुनकर की "यार 40 साल बाद कौन कहाँ कहाँ से उठकर बस कॉलेज की यादें जीने आये हैं,मैं कहाँ होऊँगी कल को,और 40 साल का तो कोई हिसाब ही नहीं है , डॉक्टर खेड़ा,डॉक्टर चिम्मा,डॉक्टर कालेर,डॉक्टर सुफल,डॉक्टर ढिल्लों,डॉक्टर बरार,डॉक्टर संधा, डॉक्टर ग्रेवाल इतने सारे डॉक्टर जो बाद में अंकल ही बने रहे। एक दौर शुरू हुआ बातों का नाचने का इतनी वीडियो बनाई और उस पलों को जितना हो सकता था जीने की भरपूर कोशिश की थी। कहते हैं डॉक्टर और पुलिस से ना यारी अच्छी ना दुश्मनी मगर उस शाम ने सब दूर रख दिया। मैंने और दीपक ने सबसे सबकी कॉलेज की बात सुनी और फिर सवाल पर सवाल की अंकल "कॉलेज में कौन सबसे शरारती था?" "कभी एक वक्त पर किसी दो दोस्तों को एक ही लड़की पर क्रश आया? " " किसी को प्यार हुआ ,किसी ने शादी भी की?" कॉलेज स्ट्राइक के जिक्र हुए कौन कौन किसके किसके बीच मे मिडल मैन बना लव अफेयर सुलझाने में। get-together डॉक्टर्स का था मगर हमें लग रहा था जैसे हमने उनका कॉलेज उस पल में वहाँ बैठ कर जिया है। खाना और मेजबानी तो खैर पंजाबियों की शान है तो डिनर अच्छे खासे भंगड़े के बाद , और "यार अनमुळे पर नाच कर हम निकले उस पर भी खेड़ा अंकल जिद कर रहे हैं क़ी हम आपको होटल छोड़ कर आयेंगे क्योंकि 12 बजने वाले थे ,अगले दिन सुबह कॉफी के वादे पर हम निकले और अगले दिन होटल डलहौजी के डलहौजी कैफ़े में कॉफी पर आखिरी विदा के लिए मुलाकात हुई। फिर सेल्फ़ी का दौर चला और आते आते डॉक्टर सुफल ने हमे लिफ्ट दी और पूरा रास्ता दुनिया भर के सवाल हमने उनसे पूछ डाले। और विदा इस वादे पर हुए की अगली मुलाकात हमारे शहर यानी पिंक सिटी में रखी जायेगी।
कितना कुछ होता है जो वक्त की रफ़्तार में छूटने की कोशिश करता है ,कितना कुछ है जो हम वक्त की रफ़्तार में समेट लेना चाहते हैं। और फिर भी कितना कुछ जिये बिना ही रह जाता है उसे जीने का फिर से मौका मिलना ही नेमत है और खुदा ने नेमतें हर किसी को नहीं अता फरमाता,मोहब्बत के घड़े बड़े रखो अक्सर देने वाला घड़े का आकार देखकर भी अता फरमाता है।